आशापुरा देवी महिमा
कुळदेवी श्री कृष्ण री,धन्य द्वारिका धाम।
एथी कवि ईशर तने, परथम करे प्रणाम।।
श्रीकृष्णचंद्र ना कुळदेवी चंद्रभागा देवी नी स्तुति
छंद भुजंगी
नमो ओम रूपा नमो ईष्ट यंत्रा। नमो मेदनी थाट साकार मंत्रा।।
नमो योग विद्या धरेणं अथागा। भवा रूप भुवनेश्वरी चंद्रभागा।।
श्री यंत्रा श्री यंत्रा श्री यंत्रा श्री यंत्रा।जपो जोग जोगी तणी रूप जंत्रा।।
नमो रिंह हिृमा किल्मस रागा। भवा रूप भुवनेश्वरी चंद्रभागा।।
नमो बीज बाला नमो ब्रहम बाणी। नमो सुखमणं सरूपं सयाणी।।
धरी देह धारेल हा श्वेत धागा। भवा रूप भुवनेश्वरी चंद्रभागा।।
गुणे पूरणी तुं सदा ज्ञान ज्ञाता। महायोग विद्या अधिष्ठात्री माता।।
चडे चिंतवने रूप् श्री यंत्र चागा। भवा रूप भुवनेश्वरी चंद्रभागा।।
नमो ध्यान में जुजुवा रूप धरणी। नमो विकृति आकृति भीन वरणी।।
करी सेवना आद भुशंडी कागा। भवा रूप भुवनेश्वरी चंद्रभागा।।
दते गोरखे गौतमे ध्यान धारी। निझारी मुनि नारदे जो जुहारी।।
चढी योग विद्या रूषि गर्ग गागा। भवा रूप भुवनेश्वरी चंद्रभागा।।
तुरा तारिया रूप् तुंही त्रिगुणा। गिरा योग मुद्रा सस्वाहा गमीणा।।
रूचा वेद रूपी रखे भाष रागा। भवा रूप भुवनेश्वरी चंद्रभागा।।
गुणी ज्ञान देणी गुणतीत ज्ञेयं। तुंणी तंत तंतु अकृतु अमेयं।।
वधे तोर ध्याने विपुलं विरागा। भवा रूप भुवनेश्वरी चंद्रभागा।।
धरे साधका केतरा तुझ ध्यानं। भरे अंतरे प्रगटं सूझ भानं।।
परे ओळगे ताहरा ग्राह पागा। भवा रूप भुवनेश्वरी चंद्रभागा।।
करी करूणा दास रा काज सारे। महा मोह माया रिपु दोष मारे।।
उध्धारे भवि सागरं तूं प्रयागा। भवा रूप भुवनेश्वरी चंद्रभागा।।
पुणा ध्यान में परवरी तुं प्रकासा। दई ध्यान में ज्ञान तुं निज दासा।।
निमे ध्यान में देव मानंख नागा। भवा रूप भुवनेश्वरी चंद्रभागा।।
धरि धूप दीपं कुसुमां धराउं। लखि गुण तोरा अभिषेक ल्याउं।।
जपूं जाप चिते ज छे थाय ज्यागा। भवा रूप भुवनेश्वरी चंद्रभागा।।
सदा श्रेयकर शाश्वतां रूप् सगती। भलो भाव देणी भली देण भगती।।
जपे ईशरो जाप तोरिय जागा। भवा रूप भुवनेश्वरी चंद्रभागा।।
दीप धूप नैवेद्य दिय, यंत्र नित्य आराध।
यह जगरो आवागमण, विणसे कर्मण बाध।।1
छपपय
ओम नमो श्री यंत्र,यंत्र उजाळण आतम।
ओम नमो श्री यंत्र,गहन ध्यानरी दे गम।ं।
ओम नमो श्री यंत्र,मारण मोह उच्चाटन।
ओम नमो श्री यंत्र,दोष सकळ मळ दाटन।।
मान पान जस लाभ मत, सुख दियण सो सर्ग को।
कवि ईशर जश यो कथे,गुण सदाता गर्ग को।।
यंत्र अनुपम मंत्र, मंत्र यही चित मंजण।
यंत्र अनुपम मंत्र, भय सिगरो घर भंजण।
यंत्र अनुपम मंत्र, शिव शिवासुख रासी।
यंत्र अनुपम मंत्र, चिंतवे सिद्ध चैरासी।।
दत चिंतन नव नाथ द्रढ, जापत सुर मुनि जानिये।
ईशर कवि श्री यंत्र को, महा मोक्ष पद मानिये।।
छंद आशापुराजी रो
आशापुराजी आपने, वंदू बारंबार।
मान पान वैभव मळे, आप खरो आधार।।
छंद हरिगीत
श्री जाम रावळ ने भुजाबळ, आपनारी आई तूं।
भोमी सबळ हालारनी, बक्षीस देवा बाई तूं।।
वड उडाडी चडी ब्रहमंडे, प्रथम सहु थी परपरी।
जय आद्यशक्ति जोगमाया, अडीखंभ आशापुरी।।1
धर पवि देदा जेठवानी,हुकुमत हालार मां।
पुर जोस मां वहेती हती, पलटावी ते पल वार मां।।
संसार मां कीधा सबल ते, जाम ने जोगेश्वरी।
जय आद्यशक्ति जोगमाया, अडीखंभ आशापुरी।।2
जोगवड ने धवळपुरीये, थापना तारी थरू।
गाम जाम खंभाळिया ने, जमनगर हवे जरू।।
हर समे तूं जाम हार्ये, रही छो राशेश्वरी।
जय आद्यशक्ति जोगमाया, अडीखंभ आशापुरी।।3
वंश रावळनी विधाता, प्रगट छो तूं प्रथम थी।
तो वार करवा आज वेली, हवे धाजे बीसहथी।।
बाई तारा विरद नी, बातुं बधी कयां वीसरी।
जय आद्यशक्ति जोगमाया, अडीखंभ आशापुरी।।4
नवलाख छपनक्रोड चंडी, आज सुधी अवतरी।
जु जुवा गुणनाम जुदा, धरीया जन्मो धरी।।
तेमां खरी तूं तारनारी, नेह पारख नीसरी।
जय आद्यशक्ति जोगमाया, अडीखंभ आशापुरी।।5
चरण तारा चंडिका जो, सेवसे कोई स्नेह थी।
रटन धननूं रात दिवस, खंत थी खानु भर्यु।।
जर्यु कोठे अन जेवुं, जाय स्मरण जो जरी।
जय आद्यशक्ति जोगमाया, अडीखंभ आशापुरी।।6
जे वियोगी जेहनां, ते तेहनां ताकी रहे।
एम तारा चरण सामे, लक्ष चित मारूं लहे।।
दहे मारूं दिल दुरगा, याद करी करी ईश्वरी।
जय आद्यशक्ति जोगमाया, अडीखंभ आशापुरी।।6
धीरज कयारे छूट से, ने भाव कयारे खूटसे।
तार लाग्यो तूटसे, कां जगत माया जूटसे।।
ए बधा संदेह ने दोषो, थाकी रहयो छुं डरी।
जय आद्यशक्ति जोगमाया, अडीखंभ आशापुरी।।7
जो जनेता हवे जाहर, एक शरणुं आपनुं।
छे नहीं बीजु छतां,तुं माप चाहस मापनुं।।
एथी हवे अकळावं छुं, तो महेर कर माहेश्वरी।
जय आद्यशक्ति जोगमाया, अडीखंभ आशापुरी।।8
जो हवे उपजे दया तो, ले दयानी ल्हाणमां।
नहीं तो हवे तुं दे पुगाड़ी, आ मलीन देह मसाणमां।।
पण कहुं मराण थी, तुं दूर कर दुरगेश्वरी।
जय आद्यशक्ति जोगमाया, अडीखंभ आशापुरी।।9
छे अने रहेशे हजी, श्रद्धा मने जो शंकरी।
तो निरंतर जाप तारो,जपीश हुं जोगेश्वरी।।
जरूर विनती जोगमाया, ध्यान मां लेजे धरी।
जय आद्यशक्ति जोगमाया, अडीखंभ आशापुरी।।10
करण कारण ने निवारण, ताप टारण तुं सदा।
ओ उधारण विपद वारण, शक्ति तुं शांतिप्रदा।।
ईशर चारण गुण उचारण, कीया कायम ते करी।
जय आद्यशक्ति जोगमाया, अडीखंभ आशापुरी।।11