करूण बतीसी
सवैया
मच्छावतार प्रसंग
वेद हरे सुर जेठ के वारिध,शंखवो नीर अगाध समायो।
बेहद खेद विरंची वियाकुल,आरत नाद अखंड उपायो।।
मच्छ को रूप धरि खल मारण,देव ब्रहमाजी को दुख दुरायो।।
ईशर दास की बेर दयानिधि, नींद लगी केही आलस आयो।।1
कच्छावतार प्रसंग
दीह निशा दुहिता दधिराज की, लक्ष पदाम्बुज सेव लगायो।
आसुर सुर हथां उण कारण,वारिध नीर अगाध बिलायो।।
कच्छप देह धरि पीठ मंदर,लिखमी बाहिर नाथ तूं लायो।
ईशर दास की बेर दयानिधि, नींद लगी केही आलस आयो।।2
वाराह अवतार
हरणंख भयो बलवान अति, सब लेही प्रथी के पाताल सिधायो।
कूक कीनी अमरां करूणाकर,धार गीडं रूप उठ के धायो।।
मार निशाचर सुर कीयो सुख,राख प्रथी मुख रंग रखायो।
ईशर दास की बेर दयानिधि, नींद लगी केही आलस आयो।।3
नृसिंहावतार
ताही के भ्रात करि तपस्या,चतुरानन से वरदान को पायो।
ता सुत-राम रटयो निश वासर,दाहे करे खल मारण धायो।
होय नृसिंह संघारत आसुर,कीध उध्धार पैळाद बचायो।
ईशर दास की बेर दयानिधि, नींद लगी केही आलस आयो।।4
वामनावतार
पुत्र विरोचन को बलराज भो,एंचत सिरग देव दुभायो।
ताह पुकार करी तुमसे हरि, धाय बुरो उण त्रास छुडायो।।
वामन रूप धरि छळियो बलि,पाव सुधार पताल पठायो।
ईशर दास की बेर दयानिधि, नींद लगी केही आलस आयो।।5
पाताल निवास प्रसंग
ताह निवास को राज दीयो,शुभ काज कीयो सब ही मन भायो।
बांध कुटि ग्रह द्वार अगे,त्रिलोक पति चत्रमास रहायो।।
राज हुं के बलराज ही रे,जस वेद पुरान जुगो जुग गायो।
ईशर दास की बेर दयानिधि, नींद लगी केही आलस आयो।।6
परशुराम प्रसंग
द्विज पुकार भयो द्विजरामण,धींग भुजा फरसी धरवायो।
बेर इक्कीस विच्छदे कीय हरि,खोयण क्षत्रिय वंश खपायो।।
मात संघारिय तात मनावण,जाण जनेता फिर जिवायो।
ईशर दास की बेर दयानिधि, नींद लगी केही आलस आयो।।7
रामावतार
गौतम श्राप दियो निज नार को,पाहन रूप अहिल्या पमायो।
कल्प अनंत करि कल्पांतह,नाम स्वरूप में नेह निभायो।।
राम पुनीत धरि चरणां रज,दिव्य हुतो वह देह दिलायो।
ईशर दास की बेर दयानिधि, नींद लगी केही आलस आयो।।8
जटायु प्रसंग
लंकपति हेरी सीत निशंकित,दृष्टि जटायु में जात दिखायो।
उड अकास कीयो भड़ युद्धह,घाव सही सही अंत घवायो।।
प्राण विदाय की बेर पुकार से,म्रितक जामण राम मिटायो।।
ईशर दास की बेर दयानिधि, नींद लगी केही आलस आयो।।9
कुबेर विभीषण प्रसंग
अंग को काट कुबेर को लंक से, फिर हिमालय पे फगवायो।
खेंच लिये अंग भोम बदीसर, इन्द्र मिले अपनो दुख गायो।
अंजस प्राण हेरी दस आनन,लंक विभीषण ले अपनायो।
ईशर दास की बेर दयानिधि, नींद लगी केही आलस आयो।।10
नल कूबर प्रसंग
पुत्र कुबेर के दो जल क्रीड़त,मद रखेसर कान मिलायो।
कोप दिये रूषि श्राप तबे तन,छांडवे जान दुजो तन पायो।।
आप वंदे दुहु कुल ब्रज,घ्रहके घ्रहके कन दुख मिटायो।
ईशर दास की बेर दयानिधि, नींद लगी केही आलस आयो।।11
व्रज रक्षा प्रसंग
वासव कोप कियो व्रज पें जब,मेघ दुवादस धार मंडायो।
धार गिरि कर हे धरणीधर,बिपत से व्रज जन बचायो।।
वासर सप्त रखेय विशंभर,छेल छोगालाय आनंद छायो।
ईशर दास की बेर दयानिधि, नींद लगी केही आलस आयो।।12
जरासंध प्रसंग
बीस हजार हवे नृप् बंधन,ध्यान हरिवर तुझ धरायो।
भीम के हाथ जरासंध वेधण,छळ भेद करि बंध छुडायो।।
भूप बुलायके दे धर पांडव,जाग जिमायके शंख बजायो।
ईशर दास की बेर दयानिधि, नींद लगी केही आलस आयो।।13
द्रोपदी वस्त्राहरण प्रसंग
दुष्ट दुशासन चीर उतारन,अंग उघाड़न को हठ धायो।
नार पुकारत हे गिरधारीय,लाज हमारीय जात जनायो।।
धाय पुकार सुणी धरणीधर,हेत विचार के चीर वधायो।
ईशर दास की बेर दयानिधि, नींद लगी केही आलस आयो।।14
लाखागृह प्रसंग
दुष्ट दुर्योधन पांडव दाहण,बे हद रंगीण महेल बणायो।
पांचोय पंडव मात कुंताजीय,काज भयंकर लक्ष करायो।।
आग लगी गुप्त द्वार उघेडि़य,बाधोय कुटुंब नाथ बचायो।
ईशर दास की बेर दयानिधि, नींद लगी केही आलस आयो।।15
त्रिलोक तृप्ति प्रसंग
पांडव कुल के काज प्रमेशर,रात दिहाय सचेत रहायो।
द्रोपदी अक्षय पात्र दुहुयकी,नाथ अजीब तूं लाज निभायो।।
हेकण पत्र प्रसाद हरिवर,कानड़ तृप्त त्रिलोक करायो।
ईशर दास की बेर दयानिधि, नींद लगी केही आलस आयो।।16
अंबरीख दुर्वासा
आरत नाद सुनि अंबरीख को,चक्र प्रभु चत्रभुज चलायो।
दुरवासा सह कृत्याय दुष्टि नी,भुव अकास पताल भगायो।।
कोय सहाय करि नहीं केवल,छंडत क्रोध उरां सुख छायो।
ईशर दास की बेर दयानिधि, नींद लगी केही आलस आयो।।17
परीक्षित प्रंसग
दोपदी उत्तराय कुंती सुभद्राय,आरत चारूं ने एक उठायो।
कर्ण परीध्वनि मिल पुकारत,अंतरिक्ष हरि कृष्णजी आयो।।
गर्भ मझार अचेतन देह को,जाय परीक्षित जाण जिवायो।।
ईशर दास की बेर दयानिधि, नींद लगी केही आलस आयो।।18
जयदेव प्रसंग
बात सुणी पति बिछोड़ण,तेह घड़ी सती प्राण तजायो।
झूठ प्रपंच जाण परी जब,भक्त करी करी रूदन गायो।।
जयदेव के आरत नारी को जाहर, प्राण फेरि तन मांह पुरायो।
ईशर दास की बेर दयानिधि, नींद लगी केही आलस आयो।।19
चित्रांगदा प्रसंग
याग के अश्व को बांधत युद्धह,पुत्र पिता बिच में परठायो।
बीर धनंजय के बभरू हथ,आप सरिजक शीश उडायो।।
चित चित्रांगदा के हरि चिंतन,जाय उते पथ कृष्ण जिवायो।
ईशर दास की बेर दयानिधि, नींद लगी केही आलस आयो।।20
सुधन्वा प्रसंग
सुधन्वा को पर्यो हरि संकट, तेल कड़ा जीव लेण तपायो।
द्रोहक शंख लिखीत दुणागण,प्राछट श्री फल प्राण पठायो।।
याद करि अवतार अविलंब,वीर धनंजय शीश बचायो।
ईशर दास की बेर दयानिधि, नींद लगी केही आलस आयो।।21
कोलव प्रसंग
कोलव भक्त की कूक परी कन,मोहन मंदर में मुरझायो।
भक्त के भाव अधीन हो भूधर,देवल फेर के मुख दिखायो।।
कीन प्रभु करूणा कितने पर,लेखत पार अहीश न लायो।
ईशर दास की बेर दयानिधि, नींद लगी केही आलस आयो।।22
गजेन्द्र मोक्ष प्रसंग
कामांध भयो गजराज कहुं,जल में ही धस्यो जूड़ मुख बंधायो।
सोई कुटुंब स्नेह गयो लथपथ,भयो मन अंत लिखायो।।
एक हकार सुणावत ही खगराज,तजी गजराज बचायो।
ईशर दास की बेर दयानिधि, नींद लगी केही आलस आयो।।23
अजामेल प्रसंग
विप्र के वंश में इक अजामिल,कर्म अनिष्ट सो जाण कमायो।
अंत समे निज पुत्र के हेत को,लक्ष अचानक दिल में लायो।।
नाम नारायण कीध उचारण,छेवट जम को पास छुडायो।
ईशर दास की बेर दयानिधि, नींद लगी केही आलस आयो।।24
कपोत रक्षण प्रसंग
काळ भयं सिर जांण कपोत क,पेखत दारूण दुख को पायो।
सांप श्किारिय बाज संधारण,सिघ्र संयोग हरि सरजायो।।
उड कपोत उभे अभयंकर, नाम प्रमाण को गुण निभायो।
ईशर दास की बेर दयानिधि, नींद लगी केही आलस आयो।।25
टीटवी प्रसंग
टेर सुणी टीटवी की त्रिभुवन,नाथ अविलंब योग निपायो।
गोविंद घंट गिराय ग्रीवां गज,ईंड अजायब रीत उबार्यो।।
नाथ अभंकर नित्य निरंजन,गुण घटे नहीं आपको गायो।
ईशर दास की बेर दयानिधि, नींद लगी केही आलस आयो।।26
काचबा काचबी प्रसंग
प्रजळयो बन प्राजळ पावक,उण बीचां दीठ दंपति आयो।
काचबी को उपदेशिय कच्छप,छोड विमासण राम को गायो।।
राम पुकार सुणी तत रक्षण,मेघ मही जलधार मंडायो।
ईशर दास की बेर दयानिधि, नींद लगी केही आलस आयो।।27
मंजारी बाळ प्रसंग
बाळ मंजारिय निंभ को भीतर,जान कुभार अजान रखायो।
होय नचींत कथा रस पीवत,लाज निभावण ध्यान लगायो।।
श्याम सदा शरणांगत सहायक,बाळ प्रजाळ से देख बचायो।
ईशर दास की बेर दयानिधि, नींद लगी केही आलस आयो।।28
हरिचंद्र रोहित प्रसंग
दाहण पुत्र के देह को लेकर,मात मरघट रूदन छायो।
हाय कीयो अवरोध हरिचंद्र,दुख को दाव दुसह्य दिखायो।।
अंत पुकार सुणी अखिलेश्वर,आरत मात रोहित उठायो।
ईशर दास की बेर दयानिधि, नींद लगी केही आलस आयो।।29
ध्रुव प्रसंग
तात प्रछोड तें मात प्रबोधत,ध्रुव करि हठ ध्यान लगायो।
नारद मंत्र दीयो निशि वासर,जापत जापत जुग बितायो।।
तापर हेत त्रिलोक पति कीय,थान अविचल नाथ थिरायो।
ईशर दास की बेर दयानिधि, नींद लगी केही आलस आयो।।30
नरसैया प्रसंग
नागर भक्त को केद किये,नृप बंधह मंदर मांही बिठायो।
काज सुधारण भक्त के केशव,धन्य काराग्रह वांस में छायो।।
बीतत जामीनी चिंताय वाधत,गोविंद ग्रीव में हार गिरायो।
ईशर दास की बेर दयानिधि, नींद लगी केही आलस आयो।।31
विनय प्रसंग
केताय भक्त रा काज सुधारण,केशवनाथ अनाथ कहायो।
बारट ईशर काज ब्रजेश्वर,आरत सुण अविलंब आयो।।
आज रखो पत हे अखिलेश्वर,जावत आवत लाज जनायो।
आळस वाधी अंग में,निंद्रा लाधी नेण।
तासु, पूग्यो न जग परठेण,आखे बारठ ईशरो।।1