अष्ट पदवी

ईश्वरदास जी बारहठ ’’भादरेश’’

मनवा रामो नाम हरै, त्रीकम नाम सूं ही तरै।

रे मनवा रामो नाम हरै।। बेल।।

अवरण वरण धरण शिर अम्बर, अशरण शरण हरे।

कृष्ण कमल बल कुंज बिहारी, ताकी भक्ति करे।।

रे मनवा रामो नाम हरै।। 1।।

जद गजराज ताँतुए ग्रहियो, जल भीतर जद रे।

पुकार सुणे हरि वेग पधारे, पाव लिया पकरे।।

रे मनवा रामो नाम हरै।। 2।।

छठी विधाता कोए दिन दलती, रावण तणे धरे।

ओ मस्तक अवरों रा लिखती, उण रा लिखिया अवरे।।

रे मनवा रामो नाम हरै।। 3।।

रावण मार विभीषण थाज्यौ, साज्यौ भमर सरै।

ऊगो सूर हुवो रव सारवी, सो सारंग समरै।।

रे मनवा रामो नाम हरै।। 4।।

पल पल बावै पृथ्वी बल पूरयो, गोविन्द गोप वरै।

भक्त सुदामै रो दालध काप्यौ, थाप्यौ ध्रुव थरै।।

रे मनवा रामो नाम हरै।। 5।।

तीन लोक मों अलख लिख्यौ, नागों सुरों नरे।

राणी द्रोपदी री लज्या राखी, पूरया चीर परे।।

रे मनवा रामो नाम हरै।। 6।।

जद अभीरस अभीयों दीयो, सहदेव नकलो नरे।

अरजण भीम युधिष्ठर राजा, तोरे नाम तरे।।

रे मनवा रामो नाम हरै।। 7।।

राम रै नाम रो रतन लाघो, ज्योंरा जाजा जतन करे।

सीधा नर जिके देखत सीधा, केशव केशव करे।।

रे मनवा रामो नाम हरै।। 8।।

ईष्ट पदवी बारट ’’ईशर’’ बोल्या, धणी रो ध्यान धरे।

सुणे सीखे जो सांई रा सेवक , ’’उणीं पर’’ केशव कृपा करे।।

मनवा रामो नाम हरै, त्रीकम नाम सूं ही तरै।

रे मनवा रामो नाम हरै।। 9।।

पहलाद भगत री बेल पधारया, कीड़ी जनाल करै।

हरणा कुश ने नख सूं हर्यौ, नरसींग रूप धरै।।

रे मनवा रामो नाम हरै।। 10।।

माता कुंती द्रोपदा रानी, अर्जुन नकुलो नरै ।

सहदेव भीम धरमी पत राजा, तोरै ईनाम तरैैै।।

रे मनवा रामो नाम हरै।। 11।।

धने भगत री खेती सुधारी, हीरों गूंण भरै।

सुदामै रो दालद काप्यौ, थाप्यौ ध्रुव थरै।।

रे मनवा रामो नाम हरै।। 12।।